भारत में खेलों का इतिहास

भारत में खेलों का इतिहास:-


वैसे तो "भारत में खेलों का इतिहास" काफी प्राचीन  है परन्तु भारत में खेलों के आरंभ और इसके प्रमाणों की बात की जाए तो आज से लगभग 3000 ई.पु. भारत की पहली मानव एवं नगरीय सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता में इसके प्रत्यक्ष प्रमाण मिलते है! प्राचीन भारत का इतिहास अधिकतर लोक कथाओं, गाथाओं, मौखिक व्याख्यानों आदि पर आधारित था, जहाँ किस्से कहानियों के माध्यम से  इतिहास को गढ़ा गया था, पर जैसे जैसे समय बदला भारत के इतिहास की खोज अनुसंधात्मक तरीके से की जाने लगी। वैज्ञानिक पद्धतियों को अपना कर साक्षों के आधार पर इतिहास का पता लगाया गया ! 

भारत में खेलों का इतिहास

                                             मोहन जोदड़ो में विशाल स्नानागार मिला है जो लगभग 11.88 m लम्बा और ७ मीटर चौड़ा और 2.43 मी. या  7.97 फिट की गहराई रखता था ! इस से ये अनुमान लगाया जा सकता है की वहां के लोग तैराकी करने के शौकीन हुआ करते थे साथ ही साथ कांस्य धातु से बने औजार शिकार करने के लिए प्रयोग में लाये जाते थे! इस काल में बच्चों के मनोरंजन के लिए मिट्टी व् लकड़ी से बने खिलौने, चौसर खेलने के लिए प्रयुक्त डाईस प्राप्त हुई! लोग जानवरों को पालते थे तथा उनके मध्य क्रीडा करवा कर मनोरंजन किया करते थे, ये लोग स्वयं भी योग व्यायाम को अपनी जीवन शैली में अपना कर शरीर  को स्वस्थ रखते थे ताकि उत्त्तर दिशा से आने वाले आक्रमणकारीयों से मुकाबला कर सके।
                                                       भारत में खेलों के इतिहास को समझने के उद्देश्य से निम्नलिखित कालो में विभाजित  किया गया  है ।
  1. वैदिक काल 
  2. महाकाव्य काल 
  3. महाजनपद काल 
  4. राजपूत काल 
  5. सल्तनत काल 
  6. ब्रिटिश काल 
  7. आजादी के बाद          

वैदिक काल:-

यहां के लोग तीरंदाजी, तैराकी, कंदूक क्रीड़ा, निशानेबाजी, घुड़सवारी तथा रथ दौड़ में दक्ष थे और इनका उपयोग युद्ध क्रीड़ा तथा मनोरंजन हेतु किया जाता था।
                                               वैदिक काल इस काल में योग की उत्पत्ति हुई। प्राणायाम को धार्मिक क्रियाओं में अपनाया जाता था। प्राणायाम में कुंभक पूरक और रेचक क्रियाएं की जाती थी। कुंभक से तात्पर्य सांस अंदर लेना पूरक से तात्पर्य सांस रोकना और रेचक से तात्पर्य श्वास बाहर छोड़ना शरीर तथा मन को विकसित करने के लिए योग आसनों का अभ्यास करना अनिवार्य माना जाता था। सूर्य नमस्कार व्यायाम प्रणाली का अभिन्न अंग था वैदिक काल में सूर्य नमस्कार धार्मिक कर्तव्य के रूप में किया जाता था।


योग आसनों का अभ्यास

महाकाव्य काल:-
रामायण, महाभारत नामक महाकाव्य का सर्जन इसी काल में हुआ इस काल ही ही गुरु द्रोणाचार्य की देखरेख में पांडव और कौरव को शस्त्र विद्या एवं युद्ध कला की शिक्षा प्रदान की गई। महाभारत से पता चलता है कि भीम सबसे शक्तिशाली कुश्ती खिलाड़ी थे। तीरंदाजी और निशानेबाजी में अर्जुन द्वारा घूमती हुई मछली की आंख को भेदना एक अच्छी निशानेबाजी का उदाहरण था इस काल में निशानेबाजी का स्तर काफी ऊंचा था महाभारत में चक्रव्यूह का वर्णन मिलता है रामायण व महाभारत में शस्त्र विद्या युद्ध कला की परिचय मिलता है। इन दोनों काव्यों में गदा युद्ध का वर्णन भी मिलता है।
महाजनपद काल:-
महाजनपद काल में प्राणायाम तथा सूर्य नमस्कार की क्रियाएं निरंतर करवाई जाती थी पैदल चलना अत्यंत गुणकारी माना जाता था। मेगस्थनीज के अनुसार शिक्षा शारीरिक शिक्षा तथा शस्त्र प्रशिक्षण, मल्लयुद्ध, धावन, कूद, भाला प्रक्षेपण रथ दौड़ आदि क्रियाएं इस काल में प्रचलित थी। इसी कॉल में पतंजलि का योग दर्शन भी आया था। योगाभ्यास अश्वरोहण कुश्ती आती क्रियाएं सामान्य तौर पर हुआ करती थी।
राजपूत काल:-
राजपूत काल में बच्चों को कटार तथा खड़ग चलाने का पाठ पढ़ाया जाता था। घुड़सवारी, भाला फेंक, तीरंदाजी, कुश्ती, आखेट,गदा युद्ध आदि इस काल के खेल थे इस काल को हिंदू धर्म का पुनः उदय काल भी कहा जाता है।
सल्तनत काल:-
इस काल में हिंदुओं तथा मुसलमानों में सत्ता के लिए दौड़ लगी रहती थी इसी कारण इस काल में योग पर प्रतिबंध लगा दिया गया। घुड़सवारी इस काल में काफी लोकप्रिय थी चौगान, शतरंज, पच्चीसी, कबड्डी, गुल्ली डंडा, गोताखोरी आदि खेल खेले जाते थे।

.......इस काल में मुक्के बाजी भी प्रसिद्ध थी। मुक्केबाजों को ईरान से लाया जाता था।

ब्रिटिश काल

ब्रिटिश काल:-
मुस्लिम काल के बाद अंग्रेजों का शासन भारत में आया। अंग्रेजों में खेल बहुत लोकप्रिय थे। इसी कारण अंग्रेजों द्वारा भारत में विभिन्न खेलों को महत्व दिया गया जिसमें कबड्डी खो-खो लोक नृत्य योग क्रियाएं सूर्य नमस्कार दंड बैठक प्रमुख थे। इस काल में कई राजाओं ने अपने राज्य में पोलो हॉकी कुश्ती क्रिकेट आदि के लोगों प्रचलित किया। 
अंग्रेजों द्वारा 1888 में डूरंड कप फुटबॉल प्रतियोगिता शिमला में शुरू की गई।
1909 में कैप्टन टी एच द्वारा पहला स्काउट ट्रूप बेंगलुरु में स्थापित किया गया। 
1911 में जबलपुर शहर में पहली बार गाइड नामक कंपनी खोली गई। 
1927 में भारतीय ओलंपिक संघ का गठन सर दोराबजी टाटा द्वारा किया गया। 
1928 में एमस्टरडम ओलंपिक हॉलैंड मैं भारतीय हॉकी टीम द्वारा हॉल इन को 3-1 से पराजित कर भारतीय हॉकी टीम ने पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक अर्जित किया।
आजादी के बाद: -
इस काल में प्रथम एशियाई खेल 1951 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया।                       
1954 में अखिल भारतीय खेल सलाहकार समिति की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई।जिसका उद्देश्य भारत में खेलों को प्रोत्साहित करना था। 
                   1954 में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई जिसके प्रथम अध्यक्ष बीडी गोंद थे। 1956-1957 में मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी की शुरुआत की गई, साथ ही साथ 1957 में लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय ग्वालियर की स्थापना की गई।

                      1961 में राष्ट्रीय खेल संस्थान एन आई एस की स्थापना पटियाले के मोती बाग पैलेस में की गई। भारतीय खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य 1984 में भारतीय खेल प्राधिकरण की स्थापना नई दिल्ली में की गई। 1985 में राष्ट्रीय खेलों की शुरुआत हुई 1985 में ही द्रोणाचार्य पुरस्कार की भी शुरुआत की गई।
                       1991 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत हुई यह भारत देश का खेलों में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार है।  1995 राष्ट्रीय खेल दिवस की शुरुआत की गई जिसके तहत 29 अगस्त को हर साल खेल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 
                                                 आजादी के बाद खेलों को विकसित करने के लिए भारत सरकार द्वारा कई कदम उठाये गए। इस क्रम में अभी भी प्रयास जारी है!
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