sharirik shiksha kya hai

शारिरिक शिक्षा का परिचय 






शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा:-
शारीरिक शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है शरीर की शिक्षा या ज्ञान, परन्तु शारीरिक शिक्षा जैसे महासागर का इतना सा अर्थ तो कतई नहीं हो सकता इसके भाव केवल शरीर तक सीमित नहीं है वरन मानव जीवन पड़ने वाले इसके बृहद प्रभाव से भी है शारीरिक शिक्षा का व्यापक अर्थ अति विशाल सागर के भांति है!

शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा


                                 कभी इसको शारीरिक प्रशिक्षण भी कहा जाता था - या केवल शारीरिक संस्कृति! एक आम व्यक्ति शारीरिक शिक्षा को शारीरिक क्रिया ही मानता है! शारीरिक शिक्षा को केवल शारीरिक क्रिया या शारीरिक शिक्षा क्रियाओं का समूह मानना उचित नहीं होगा यहाँ शिक्षा शब्द का उपयोग शरीर के साथ हुआ है अत: शारीरिक शिक्षा से तात्पर्य मानव के शरीर व उसके द्वारा की जाने वाली महत्वपूर्ण शारीरिक क्रियाएँ व् इन क्रियाओं से उसके जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव से है जिस माध्यम से उसका सर्वागीण विकास हो सके जो जीवन में केवल खेलों के क्षेत्र में न होकर शारीरिक मानसिक या सामाजिक हो सकता है ! इस प्रकार शारिरिक शिक्षा का क्षेत्र काफी व्यापक है क्योंकि शारीरिक शिक्षा में शिक्षा का उल्लेख हुआ है।
sharirik shiksha kya hai
परिभाषा:-
शारिरिक शिक्षा के विषय में व्यक्ति की समस्त शारीरिक गतिविधियों क्षमताओं क्रियाओं विकास के समस्त पहलुओं विकास में गति विरोध करने वाले तत्वों तथा उसके समाधान का अध्ययन किया जाता है। समय समय पर विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों द्वारा शारीरिक शिक्षा को निम्नानुसार परिभाषित किया गया है।

जै. बी. नेश:-
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाव है जिसका संबंध वृहत पेशी प्रक्रियाओं तथा उससे संबंधित अनु क्रियाओं के साथ है।

चार्ल्स ए. बुशर :-
शारीरिक शिक्षा संपूर्ण शिक्षा प्रबंध का एक अभिन्न अंग है तथा जिसका ध्येय उन शारिरिक प्रक्रियाओं के माध्यम से है जिनका चयन शारीरिक मानसिक संवेगात्मक तथा सामाजिक दृष्टि से स्वस्थ नागरिकों का निर्माण करने जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

सी. सी. कोबेल:-
शारिरिक शिक्षा व्यक्ति विशेष के सामाजिक व्यवहार में वह परिवर्तन है जो मांसपेशियों तथा उनसे संबंधित गतिविधियों की प्रेरणा से उत्पन्न होता है।
sharirik shiksha kya hai
भारतीय शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड:-
परिभाषा के अनुसार शारिरिक शिक्षा, शिक्षा ही है यह वह शिक्षा है जो बच्चे के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास तथा उसकी सारी प्रक्रियाओं द्वारा शरीर मन आत्मा की पूर्णरूपेण विकास हेतु दी जाती है।

सेकेंडरी शिक्षा कमीशन:-
शारिरिक शिक्षा स्वास्थ्य कार्यक्रमों का एक अति आवश्यक भाग इसकी भिन्न-भिन्न क्रियाओं को इस प्रकार करवाया जाए कि विद्यार्थियों के शारिरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का विकास हो उनकी मनोरंजन क्रियाओं में रुचि बड़े तथा उनके भीतर सामूहिक खेल भावना, दूसरों का आदर करने की भावना विकसित हो शारीरिक शिक्षा केवल शारिरिक ड्रिल या नियमित व्यायाम से अत्याधिक ऊंची वस्तु है इसमें सभी प्रकार की शारीरिक क्रियाएं तथा खेल सम्मिलित है जिनके द्वारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
 
निकसन तथा कोजन के अनुसार:-
शारीरिक शिक्षा के बारे में अपना विचार इस प्रकार प्रकट किया है शारीरिक शिक्षा- शिक्षा का एक भाग है जिसका संबंध समस्त मांसपेशियों तथा उनसे संबंधित क्रियाओं से है।

इन सभी परिभाषा के परिणाम स्वरुप ये विश्लेषण प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार है :-शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य के अंतर्गत व्यक्ति का सर्वागीण विकास होता है शारीरिक शिक्षा में शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक व सामाजिक गुणों का विकास होता है!शारीरिक शिक्षा का माध्यम शारीरिक क्रियाएं ही है शारीरिक क्रियाओ से आशय बहू पेशी ध्यान से हैं जिनसे शरीर के स्वस्थ अवयवों का उचित विकास होता है! शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का एक ही अभिन्न अंग है। आज की शारिरिक शिक्षा सुनियोजित तथा वैज्ञानिक सिद्धांतों पर ही आधारित है जिसमें प्रक्रियाओं का चयन व्यक्ति के माध्यम से विकास के लिए किया जाता है!


अतः हम कह सकते कि शारीरिक शिक्षा एक विधि है जो शारीरिक क्रियाओं का सहारा लेकर उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करती है यह शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से व्यक्तियों के व्यवहार तथा अभिव्यक्ति में परिवर्तन लाने का प्रयास करती है यह केवल किया प्रधान कार्य नहीं परंतु एक साधन भी है। शारीरिक शिक्षा का सामान्य शिक्षा से संबंध साधारण व्यक्ति अपने अनुभव के अनुसार जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चाहे वह मानसिक हो या बौद्धिक सैद्धांतिक हो अथवा व्यवहारिक अपना ज्ञान बढ़ाता ही रहता है शिक्षा का उद्देश्य वक्ति में छिपे हुए गुणों को विकसित करना है क्योंकि इन्हीं गुणों के विकास से व्यक्ति का सर्व पक्षी विकास संभव है। इस उपरोक्त विचार से हम अनुमान लगा सकते हैं कि एक व्यक्ति अगर तन और मन को एकाग्र ना करें तो कुछ नहीं कर सकता क्योंकि यह ऐसे पक्षी है जो एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता विद्वानों ने भी कहा है a sound body has a sound mind इसका तात्पर्य स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।      
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हम आशा करते है शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में आप को हमारी दी गई जानकारी पसंद आई होगी! शारीरिक शिक्षा के विषय में और जानकारियों के लिए हमारी और पोस्ट पढ़े -

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