sharirik shiksha ki avdharna

शारीरिक शिक्षा की अवधारणा 

Concept of Physical Education

                                   शारीरिक शिक्षा की अवधारणा से तात्पर्य शारीरिक क्रियाओं जैसे व्यायाम, योग, और खेलों के माध्यम से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ को विकसित करने हेतु लोगों को प्रेरित करने से है! इस प्रक्रिया के माध्यम से मानव को एक बेहतर व्  स्वस्थ जीवन के निर्माण हेतु ज्ञान प्रदान करना है एक स्वस्थ  व्यक्ति न केवल स्वयं के लिए अपितु समाज व देश के विकास एवं मानव जाती के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है!





                                                                                 शारीरिक शिक्षा का संबंध सीधे तौर पर शारीरिक क्रियाओं से होता है और जिस शिक्षा के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का सर्वांगीण विकास संभव हो उसे शारीरिक शिक्षा में सम्मिलित किया जाता है शारिरिक शिक्षा के अर्थ को उदाहरणों की मदद से बहुत ही सरल शब्दों में समझा जा सकता है-
                                                           
जैसे कोई 8 वर्ष का बच्चा अगर आपके पास आता है और कहता है कि मैं शारीरिक क्रिया या खेल में भाग लेना चाहता हूं आप यहां पहले सोचेंगे कि इसे किस शारीरिक विद्या या खेल में भाग दिलाया जाएं। यहां यह निर्णय लेना बुद्धिमता का कार्य है। क्योंकि जिसे शारिरिक शिक्षा का अच्छा ज्ञान होगा वही अच्छा निर्णय ले सकेगा क्योंकि यहां सभी वैज्ञानिक आधार को देखा जायेगा कि बच्चा किस खेल क्रिया के लिए अच्छा साबित हो सकता है जिससे भविष्य में ये खेल क्रिया उस बच्चे के लिए लाभप्रद हो यहां उस बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ को देखते हुए उसकी शारीरिक बनावट उसका खेलों के प्रति रुझान को शारीरिक क्रिया का केंद्र बिंदु माना जाएगा। शारीरिक क्रिया से संबंधित शिक्षा एवं उसकी उपयोगिता को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझाया गया है।

शारीरीक क्रिया में खेल का चयन:-
शारीरिक क्रिया या खेल का चयन करने के लिए उसके वंशानुक्रम कारक फिजियोलॉजिकल कारक मनोवैज्ञानिक कारक फिटनेस कारक स्वास्थ्य कारक आदि देखे जाते हैं इसलिए शारीरिक क्रिया या खेल के चयन के लिए उपर्युक्त वैज्ञानिक आधारों का ज्ञान होना आवश्यक है जिसके आधार पर शारीरीक शिक्षा में शारीरिक क्रिया या खेल का चयन किया जाता है।

खेल का ज्ञान एवम कौशल:-
शारीरिक क्रियाओं में सर्वप्रथम खिलाड़ियों को खेलों के नियमों व कौशलों से अवगत कराया जाता है ताकि वे किसी खेल विशेष की बारीकियों को अच्छे से समझ सके और भविष्य में बेहतर प्रर्दशन कर सकें।

खेल से पूर्व या खेल के उपरांत शारीरिक प्रभाव:-
शारीरिक शिक्षा में खेल के पूर्व या उपरांत खिलाड़ियों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से शारीरीक शिक्षा के विद्यार्थियों को पूरी तरह से अवगत कराया जाता है ताकि शारीरिक शिक्षक खेल के पूर्व या उपरांत खिलाड़ियों को खेलों के लिए अच्छे से तैयार कर सकें।

खेलों के दौरान लगने वाली चोटों का प्राथमिक उपचार:-
एक शारीरिक शिक्षक को खेलों के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोट से बचाओ चोट के प्रकार चोट लग जाने पर प्राथमिक उपचार पुन: स्थापन डोपिंग आदि संबंधित ज्ञान खेल चिकित्सा शास्त्र नामक विषय के अंतर्गत दिया जाता है।


खेलों के दौरान लगने वाली चोटों का प्राथमिक उपचार

खेल प्रशिक्षण उपरांत बेहतर प्रदर्शन: -
खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने हेतु खिलाड़ियों को प्रशिक्षण वैज्ञानिक पद्धतियो के आधार पर खेल प्रशिक्षण के वैज्ञानिक सिद्धांत नामक विषय के अंतर्गत दिया जाता है।

Concept of Physical Education

खेल और स्वास्थ्य:-
अच्छे खेल प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को स्वस्थ होना अति आवश्यक है। इसीलिए उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक है। ताकि वह खेल प्रतियोगिताओं के दौरान अपने आप को स्वस्थ रख सके।

खेल और मनोविज्ञान:-
खेल में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ियों को मनोवैज्ञानिक कारकों का ज्ञान होना अति आवश्यक है जो खेल कौशलों को सीखने तथा खेल प्रदर्शन पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिए कारगर है।

खेल और आहार: -
खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है और यह ऊर्जा आहार के रुप में सम्मिलित पोषक तत्वों से हमें प्राप्त होती है संबंधित चयनित खेलों में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता पड़ेगी और आहार में क्या दिया जाए ताकि खिलाड़ी खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकें इसका ज्ञान हमें आहार एवं पोषण विज्ञान से प्राप्त होता है।

खेलों का इतिहास:-
खिलाड़ियों को चयनित खेल का इतिहास जानना भी अति आवश्यक है ताकि खेल के बुनियादी कौशलों को सीखा जा सके।

खेल प्रदर्शन मापन एवं मूल्यांकन:-
चयनित खेल में खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा है इस को मापने के लिए संबंधित खेल के परीक्षण को अपनाया जाएगा इसके द्वारा उसका मापन एवं मूल्यांकन किया जाएगा। इसका ज्ञान शारीरिक शिक्षा एवं खेलों में परीक्षण मापन एवं मूल्यांकन नामक विषय के अंतर्गत किया जाएगा।


शारीरिक शिक्षा की अवधारणा


खेल और यांत्रिकी:-
खिलाड़ियों द्वारा चयनित खेल के अंतर्गत आने वाले कौशलों में अच्छे प्रदर्शन के लिए यांत्रिकी विज्ञान का ज्ञान होना भी आवश्यक है क्योंकि किसी कौशल को सही व सटीक रूप से करने हेतु बल एवं गति के वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित नियमों का पालन करना होगा।

खेल और मानवमीति:-
खेलों के अंतर्गत आने वाले कौशलों में अच्छे प्रदर्शन हेतु मानवमीति को सम्मिलित किया जाता है जिससे किसी कौशल को सही और सटीक रूप से करने हेतु शरीर के विभिन्न अंगों की माप के ज्ञान होना बॉडी टाइप्स के आधार पर खेलों में प्रदर्शन किया जा सकता है।

Concept of Physical Education

खेल और समाज:-
खेलों को अगर सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो समाज में खेलों के प्रति रुझान व इस से प्राप्त होने वाले अवसर रोजगार इत्यादि से खिलाड़ियों को अवगत कराना अति आवश्यक है ताकि वे समाज में खेल व खिलाडयों के प्रति सम्मान अर्जित कर सकें।

अंततः यह स्पष्ट होता है कि शारीरीक शिक्षा वह शिक्षा है जिसका संबंध शारीरिक क्रियाओं से होता है। और जिस शिक्षा से किसी व्यक्ति का सर्वागीण विकास हो वह शिक्षा कितनी लाभप्रद है।हम आशा करते है शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में आप को हमारी दी गई जानकारी पसंद आई होगी! शारीरिक शिक्षा के विषय में और जानकारियों के लिए हमारी और पोस्ट पढ़े -
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